उत्तर प्रदेश के राजकीय निगमों में कार्यरत कर्मचारियों के लिए राज्य सरकार ने महंगाई भत्ते का एलान कर दिया है। निगमों में लागू अलग-अलग वेतनमान के हिसाब से कर्मचारियों को 12 से 345 फीसद तक महंगाई भत्ते का भुगतान किया जाएगा। बढ़े महंगाई भत्ते के लिए सार्वजनिक उद्यम विभाग ने शासनादेश जारी कर दिया है। हालांकि इन भत्तों के लिए सरकार कोई वित्तीय मदद नहीं देगी।
राज्य सरकार ने निगमों में जनवरी 2016 से पुनरीक्षित वेतन पाने वालों को मूल वेतन का 12 फीसद, जनवरी 2006 से पुनरीक्षित वेतन पाने वालों को 154 फीसद, 1996 के बाद वेतन पुनरीक्षित न होने के बावजूद 2009 में 50 फीसद महंगाई भत्ते को वेतन में परिवर्तित कराने वालों को 295 फीसद और यह परिवर्तन न पाने वालों को 345 फीसद, जबकि इससे पहले के मामलों में 337 फीसद महंगाई भत्ता दिए जाने का आदेश जारी किया है। यह भत्ता केवल उन्हीं निगमों में दिया जाएगा, जहां निगम इसका खर्च उठाने में सक्षम होंगे।
जिन निगमों को बंद करने का निर्णय लिया गया है, वहां बढ़ी दर से इसका भुगतान नहीं किया जाएगा। बढ़ी दर का भत्ता उन्हीं निगमों को मिलेगा, जहां ईपीएफ, पेंशन अंशदान या आयकर लंबित नहीं होगा। इन शर्तों के तहत निगमों की वित्तीय क्षमता के आंकलन के लिए निगमों के बोर्ड से अनुमोदित प्रस्ताव मांगा गया है। सार्वजनिक उद्यम विभाग की समिति इन प्रस्तावों और चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा ऑडिट की हुई बैलेंस शीट में नकद लाभ की स्थिति के आधार पर भत्ते के भुगतान का निर्णय करेगी।